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Monday, September 7, 2015

Jisko bhi chaaha use toot ke chaaha "Rashid"








Aaj bhi hai mere kadmoN ke nishaaN awaara_Mumtaz Rashid

 
 
Aaj bhi hai mere kadmoN ke nishaaN awaara
Teri galiyoN meiN bhatakte the jahaaN awaara

Tujhse kya bichhde to ye ho gayi apni haalat
Jaise ho jaaye hawaaoN meiN dhuaaN awaara

Mere sheroN ki thi pehchaan usi ke dam se
Usko kho kar huye be-naam-o-nishaaN awaara

Jisko bhi chaaha use toot ke chaaha 'Rashid'
Kam mileinge tumhe hum jaise yahaaN awaara

- Mumtaz Rashid
 
 

 


 

Wednesday, September 2, 2015

Abhi To MaiN Javaan HooN, Hafeez Jallandhari_mallika Pukhraj






Abhi to main jawan hoon,hafeez jalandhari,nazm,urdu shayari


हवा भी ख़ुश-गवार है, गुलों पे भी निखार है 
तरन्नुम-ए-हज़ार है, बहार पुर-बहार है 
कहाँ चला है साक़िया, इधर तो लौट इधर तो आ 
अरे ये देखता है क्या, उठा सुबू सुबू उठा 
सुबू उठा प्याला भर, प्याला भर के दे इधर 
चमन की सम्त कर नज़र, समाँ तो देख बे-ख़बर 
वो काली काली बदलियाँ, उफ़ुक़ पे हो गईं अयाँ
वो इक हुजूम-ए-मय-कशाँ, है सू-ए-मय-कदा रवाँ 
ये क्या गुमाँ है बद-गुमाँ, समझ न मुझ को ना-तवाँ 
ख़याल-ए-ज़ोहद अभी कहाँ,
अभी तो मैं जवान हूँ 
इबादतों का ज़िक्र है, नजात की भी फ़िक्र है 
जुनून है सवाब का, ख़याल है अज़ाब का 
मगर सुनो तो शैख़ जी, अजीब शय हैं आप भी 
भला शबाब ओ आशिक़ी, अलग हुए भी हैं कभी 
हसीन जल्वा-रेज़ हों, अदाएँ फ़ित्ना-ख़ेज़ हों 
हवाएँ इत्र-बेज़ हों, तो शौक़ क्यूँ न तेज़ हों 
निगार-हा-ए-फ़ित्नागर, कोई इधर कोई उधर 
उभारते हों ऐश पर, तो क्या करे कोई बशर 
चलो जी क़िस्सा-मुख़्तसर, तुम्हारा नुक़्ता-ए-नज़र 
दुरुस्त है तो हो मगर,
अभी तो मैं जवान हूँ 
ये गश्त कोहसार की, ये सैर जू-ए-बार की 
ये बुलबुलों के चहचहे, ये गुल-रुख़ों के क़हक़हे 
किसी से मेल हो गया, तो रंज ओ फ़िक्र खो गया 
कभी जो बख़्त सो गया, ये हँस गया वो रो गया 
ये इश्क़ की कहानियाँ, ये रस भरी जवानियाँ 
उधर से मेहरबानियाँ, इधर से लन-तरानियाँ 
ये आसमान ये ज़मीं, नज़ारा-हा-ए-दिल-नशीं 
इन्हें हयात-आफ़रीं, भला मैं छोड़ दूँ यहीं 
है मौत इस क़दर क़रीं, मुझे न आएगा यक़ीं 
नहीं नहीं अभी नहीं,
अभी तो मैं जवान हूँ 
न ग़म कुशूद ओ बस्त का, बुलंद का न पस्त का 
न बूद का न हस्त का, न वादा-ए-अलस्त का 
उम्मीद और यास गुम, हवास गुम क़यास गुम 
नज़र से आस पास गुम, हमा-बजुज़ गिलास गुम 
न मय में कुछ कमी रहे, क़दह से हमदमी रहे
नशिस्त  ये  जमी  रहे, यही  हमा - हामी  रहे
वो  राग  छेड़  मुतरिबा, तरब-फ़ज़ा  अलम-रुबा
असर सदा-ए-साज़  का, जिगर में  आग दे लगा
हर एक लब पे हो सदा, न हाथ रोक साक़िया
पिलाए जा पिलाए जा,
अभी तो मैं जवान हूँ

Hafiz Jalandhari