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Tuesday, March 30, 2021

UsooloN par jahaaN aanch aaye takraana zarori hai




उसूलों  पर  जहाँ  आँच  आये  टकराना  ज़रूरी  है

जो ज़िन्दा हो तो फिर ज़िन्दा नज़र आना ज़रूरी है

वसीम बरेलवी




اصولوں پر جہاں آنچ ائے ٹکرانا ضروری ہے

جو زندہ ہو تو پھر زندہ نظر آنا ضروری ہے

وسیم بریلوی



UsooloN par jahaaN aanch aaye takraana zarori hai

Jo  zinda  ho to  phir  zinda  nazar  aana  zaroori hai


Waseem Barelvi


Sunday, March 28, 2021

Ye to chalti nazar nahiN aati




ये तो  चलती नज़र  नहीं  आती
इस मुहब्बत में जान है ही नहीं 

दोस्तां   तीर  उधर  से   आएगा
जिस तरफ तेरा ध्यान है ही नहीं

वसी शाह


یہ  تو   چلتی   نظر   نہیں   آتی
اس محبّت میں جان ہے ہی نہیں

دوستاں   تیر   اُدھر    سے   آئیگا
جس طرف تیرا دھیان ہے ہی نہیں

وسی شاہ



Ye    to   chalti    nazar    nahiN    aati
Is muhabbat meiN jaan hai hi nahiN

DostaaN    teer   udhar   se   aayega
Jis  taraf  tera  dhyaan  hai  hi  nahiN


Wasi Shah

 

Saturday, March 27, 2021

Pehle bhi qateel aankhoN ne khaye kayi dhoke




पहले भी क़तील आँखों ने खाये कई धोके

अब और न बीनाई का नुकसान किया जाये




پہلے بھی قتیل آنکھوں نے کھائے کئی دھوکے

اب   اور   نہ  بینائی  کا   نکسان   کیا   جائے




Pehle bhi Qateel aankhoN ne khaye kayi dhoke

Ab  aur  na  binaayi   ka  nuksan of   and   jaaye








 

Thursday, March 25, 2021

Tere Gulshan se zyada veeran koi veeraana Na ho




तेरे  गुलशन  से  ज़्यादा  वीरान  कोई  वीराना  न  हो

इस दुनिया में कोई तेरा अपना तो क्या, बेगाना न हो

किसी    का   प्यार    क्या    तू   बेरुख़ी    को   तरसे



Tere gulshan se zyada veeran koi veeraan na ho

Is duniya mein koi tera apna to kya begana na ho

Kisi    ka    pyaar   kya   tu     berukhi     ko     tarse



تیرے گُلشن سے زیادہ ویران کوئی ویرانہ نہ ہو

اس دنیا میں کوئی تیرے اپنا تو کیا، بیگانہ نہ ہو

کسی    کا   پیار   کیا   تو   بّیرکھی   کو    ترسے

Thursday, March 18, 2021

Hum wo NahiN jo pyaar meiN Ro kar guzar deiN

 






Hum wo NahiN jo pyaar meiN
Ro kar guzar deiN

ParchhaiN bhi ho teri to
Thokar se maar deiN,

Vaqif haiN hum bhi khoob,
Har ik inteqaam se..





हम वो  नहीं  जो प्यार  में  रो कर  गुज़ार  दें

परछाईं  भी  हो  तेरी तो  ठोकर  से  मार  दें

वाकिफ़ हैं हम भी खूब हर इक इन्तेक़ाम से




ہم  وہ  نہیں  جو پیار میں  روکر  گزارا  دیں

پرچھائیں بھی ہو تیری تو ٹھوکر پے مار دیں

واقف ہیں ہم بھی خوب ہر ہر اک  انتقام  سے

Tuesday, March 16, 2021

Bhoole haiN rafta rafta unheiN muddatoN meiN hum...






Bhoole haiN rafta rafta unheiN,
muddataoN meiN hum,,
KishtoN meiN khudkushi ka maza,
Humse poochhiye..



भूले  हैं  रफ़्ता  रफ़्ता  उन्हें  मुद्दतों  में  हम
किश्तों में खुदकुशी का मज़ा हमसे पूछिये



بھولے  ہیں رفتا  رفتا اُنہیں مدتوں  میں  ہم
کشتوں میں خودکشی کا مزا حمسے پوچھیے



 

Monday, March 15, 2021

Main jise odhta bichhata hoon gazal by Dushyant Kumar



मैं जिसे ओढ़ता-बिछाता हूँ
वो ग़ज़ल आपको सुनाता हूँ

एक जंगल है तेरी आँखों में
मैं जहाँ राह भूल जाता हूँ

तू किसी रेल-सी गुज़रती है
मैं किसी पुल-सा थरथराता हूँ

हर तरफ़ ऐतराज़ होता है
मैं अगर रौशनी में आता हूँ

एक बाज़ू उखड़ गया जबसे
और ज़्यादा वज़न उठाता हूँ

मैं तुझे भूलने की कोशिश में
आज कितने क़रीब पाता हूँ

कौन ये फ़ासला निभाएगा
मैं फ़रिश्ता हूँ सच बताता हूँ

दुष्यंत कुमार




Main   jise    odhta    bichhata   hooN
Wo    gazal   aapko   sunata    bhooN
  
Ek  jungle   hai  teri   aankhoN   meiN
MaiN jahaaN raah  bhool jaata  hooN

Tu     kisi     rel    si       guzarti       hai
MaiN kisi pul sa bthar-tharaata hooN

Har        traf       aitraaz       hota     hai
MaiN agar  roshni   meiN  aata  HooN

Ek       baazu      ukhad      gaya   jabse
Aur    zyada     vazan      uthata   hooN

MaiN tujhe  bhoolne  ki  koshish neiN
Aaj       kitne     kareeb      pata    hooN

Kaun        ye         faasla        nibhayega
MaiN farishta hooN sach batata hooN

Dushyant Kumar




میں  جیسے  اوڑھتا   بچھاتا  ہوں
وہ      غزل    آپکو    سناتا   ہوں

ایک جنگل ہے تیری  آنکھوں میں
میں  جہاں  راہ  بھول  جاتا ہوں

تُو   کسی    ریل سي  گزرتی   ہے
میں کسی   پُل سا   تھر  تھرا   تا

ہر    طرف    اعتراض   ہوتا    ہے
میں   اگر   روشنی   میں  آتا ہوں

ایک    بازو    اُکھڑ    گیا    جبسے
اور    زیادہ    وزن    اٹھاتا    ہوں

میں تُجھے بھولنے کی کوشش میں
آج    کتنے     قریب    پا تا     ہوں

کون      یہ      فاسلہ       نبھائیگا
میں  فرشتہ   ہوں  سچ  بتاتا  ہوں

دشینت کمار