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Sunday, April 18, 2021

Hum wo pagal hain ki haathon ganwa kar heera







हम वो पागल हैं कि हाथों से गँवानकर  हीरा

हाथ  मलते  भी  नहीं  सोग  मनाते  भी  नहीं



ہم وہ پاگل ہیں کی ہاتھوں سے گنواکر ہیرا

ہاتھ  ملتے بھی نہیں،  سوغ مناتے بھی نہی




Hum wo pagal hain ki haathon  ganwa kar heera

Haath malte  bhi nahin, woh  manaate bhi  nahin
 



Friday, April 16, 2021

जहाँ मिले थे बिछड़ने से एक शब पहले - कुमैल रिज़वी









जहाँ मिले थे बिछड़ने से एक शब पहले

उसी मक़ाम पे हम दोनों काश मर जाते

            कुमैल रिज़वी



جہاں ملے تھے بِچھڑنے سے ایک شب پہلے

اُسی  مقام پے ہم  دونوں  کاش  مر جاتے



JahaaN mile the bichhadne se ek shab pehle

Usi maqaam pe hum donoN kaash mar jaate

     Kumail Rizvi



 

JahaaN mile the bichhadne se ek shab pehle-Kumail Rizvi




जहाँ मिले थे बिछड़ने से एक शब पहले

उसी मक़ाम पे हम दोनों काश मर जाते

कुमैल रिज़वी



جہاں ملے تھے بِچھڑنے سے ایک شب پہلے

اُسی  مقام پے ہم  دونوں  کاش  مر جاتے




JahaaN mile the bichhadne se ek shab pehle

Usi maqaam pe hum donoN kaash mar jaate


Kumail Rizvi






 

Thursday, April 8, 2021

Do ghadi pyaar ki kareiN baateiN,



दो  घड़ी  प्यार  की  करें  बातें

दिल जलाने को उमर बाक़ी है



دو گھڑی پیار کی کریں باتیں

دل  جلانے  کو عمر  باقی  ہے



Do ghadi pyaar ki kareiN baateiN,

Dil  jalaane  ko   umar  baaqi   hai


 



Sunday, April 4, 2021

YuuN muhabbat se na hum khana-badoshoN ko bula

 






यूँ मुहब्बत से न हम ख़ाना-बदोशों को बुला

इतने  सादा  है  कि  घर - बार  उठा  लाएंगे



یوں محبّت سے نہ ہم خانہ- بدوشوں کو بلا

اتنے  سادہ  ہیں  کی گھر - بار  اٹھا  لائینگ



YuuN muhabbat se na hum khana-badoshoN ko bula,

 Itne saada haiN ke ghar-baar uthaa layeinge





Saturday, April 3, 2021

Husn-e-mujassim ho ya sanwali si soorat






हुस्न - ए - मुजस्सिम   हो   या   साँवली   सी   सूरत

इश्क़ अगर रूह से हो तो हर  चेहरा कमाल लगता है



حُسنِ  مجسّم   ہو  یا   سانولی   سی   صورت

عشق اگر رُوح سے ہو تو ہر چہرہ کمال لگتا ہے




Husn - e - mujassim   ho   ya   saaNwali   si   soorat,

Ishq agar rooh se ho to har chehra kamaal lagta hai