waiz4u Shayari: सरफरोशी की तमन्ना अब हमारे दिल में है... expr:class='"loading" + data:blog.mobileClass'>
Powered By Blogger

Tuesday, August 24, 2021

सरफरोशी की तमन्ना अब हमारे दिल में है...












सरफ़रोशी की तमन्ना अब हमारे दिल में है 
देखना है ज़ोर कितना बाज़ू-ए-क़ातिल में है 

ऐ शहीद-ए-मुल्क-ओ-मिल्लत मैं तिरे ऊपर निसार 
ले तिरी हिम्मत का चर्चा ग़ैर की महफ़िल में है 

वाए क़िस्मत पाँव की ऐ ज़ोफ़ कुछ चलती नहीं 
कारवाँ अपना अभी तक पहली ही मंज़िल में है 

रहरव-ए-राह-ए-मोहब्बत रह न जाना राह में 
लज़्ज़त-ए-सहरा-नवर्दी दूरी-ए-मंज़िल में है 

शौक़ से राह-ए-मोहब्बत की मुसीबत झेल ले 
इक ख़ुशी का राज़ पिन्हाँ जादा-ए-मंज़िल में है 

आज फिर मक़्तल में क़ातिल कह रहा है बार बार 
आएँ वो शौक़-ए-शहादत जिन के जिन के दिल में है 

मरने वालो आओ अब गर्दन कटाओ शौक़ से 
ये ग़नीमत वक़्त है ख़ंजर कफ़-ए-क़ातिल में है 

माने-ए-इज़हार तुम को है हया, हम को अदब 
कुछ तुम्हारे दिल के अंदर कुछ हमारे दिल में है 

मय-कदा सुनसान ख़ुम उल्टे पड़े हैं जाम चूर 
सर-निगूँ बैठा है साक़ी जो तिरी महफ़िल में है 

वक़्त आने दे दिखा देंगे तुझे ऐ आसमाँ 
हम अभी से क्यूँ बताएँ क्या हमारे दिल में है 

अब न अगले वलवले हैं और न वो अरमाँ की भीड़ 
सिर्फ़ मिट जाने की इक हसरत दिल-ए-'बिस्मिल' में है


बिस्मिल अज़ीमाबादी


No comments:

Post a Comment