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Tuesday, January 11, 2022

Hriday Mera Bhakar Shukla Shayari

 

 


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ह्रदय मेरा जो कृन्दन कर रहा था
तेरी यादों को वंदन कर रहा था

समीप होना तेरा घनघोर वन के
सभी वृक्षों को चंदन कर रहा था

तुम्हारे शहर से गुज़री थी गाड़ी
उतरने का बहुत मन कर रहा था

नदी तट पर तुम्हारी याद आई
कोई दीपक विसर्जन कर रहा था

~ भास्कर शुक्ला