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Kalam Aaj Unki Jai Bol--- Ramdhari Singh 'Dinkar'




Kalam aaj unki jai bol
Ramdhari Singh Dinkar




जो अगणित लघु दीप हमारे

तुफानों में एक किनारे

जल-जलाकर बुझ गए किसी दिन

मांगा नहीं स्नेह मुंह खोल

कलम, आज उनकी जय बोल

पीकर जिनकी लाल शिखाएं

उगल रही लपट दिशाएं

जिनके सिंहनाद से सहमी

धरती रही अभी तक डोल

कलम, आज उनकी जय बोल 




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