मुहब्बत करने वालों में ये झगड़ा डाल देती है
सियासत दोस्ती की जड़ में मट्ठा डाल देती है
सियासत दोस्ती की जड़ में मट्ठा डाल देती है
तवायफ़ की तरह अपने गलत कामों के चेहरे पर
हुकूमत मन्दिर -ओ -मस्जिद का पर्दा डाल देती है
हुकूमत मुँह -भराई के हुनर से खूब वाकिफ़ है
ये हर कुत्ते के आगे शाही टुकड़ा डाल देती है
कहाँ की हिजरतें ,कैसा सफ़र ,कैसा जुदा होना
किसी की चाह पैरों पर दुपट्टा डाल देती है
ये चिड़िया भी मेरी बेटी से कितना मिलती -जुलती है
कहीं भी शाख -ए -गुल देखे तो झूला डाल देती है
हसद की आग में जलती है सारी रात वो औरत
मगर सौतन के आगे अपना जूठा डाल देती है
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