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Monday, November 10, 2014

Hussain Brothers Ghazal


ज़ुल्फ़ बिखरा के निकले वो घर से
देखो बादल कहाँ आज बरसे।
फिर हुईं धड़कनें तेज़ दिल की
फिर वो गुज़रे हैं शायद इधर से।
मैं हर एक हाल में आपका हूँ
आप देखें मुझे जिस नज़र से।
ज़िन्दग़ी वो सम्भल ना सकेगी
गिर गई जो तुम्हारी नज़र से।
बिजलियों की तवाजों में ‘बेकल’
आशियाना बनाओ शहर से।

                           Bekal Utsahi


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