बात साक़ी की न टाली जाएगी
कर के तौबा तोड़ डाली जाएगी।
देख लेना वो न खाली जाएगी
आह जो दिल से निकाली जाएगी।
ग़र यही तर्ज़-ए-फुगाँ है अन्दलीब
तो भी गुलशन से निकाली जाएगी।
आते-आते आएगा उनको ख़याल
जाते-जाते बेख़याली जाएगी।
क्यों नहीं मिलती गले से तेग़-ए-नाज़
ईद क्या अब के भी खाली जाएगी।
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